मन हुआ था प्रकाश में एक दिन, आनंद की धारा हो रही थी प्रवाहित। मन हुआ था प्रकाश में एक दिन, आनंद की धारा हो रही थी प्रवाहित।
इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...! इसके हर ज़र्रे में चुनवाया है मैंने, तुम्हारी स्मृतियों के ज्योति-पुंज...!
जब खनकती चूड़ियों में समाया रहता था इंद्रधनुष मौन हो जाती थी पायल और तुम अपनी हथेली में मेरी हथे... जब खनकती चूड़ियों में समाया रहता था इंद्रधनुष मौन हो जाती थी पायल और तुम अपनी...
दिन का जैसे आभास ही ना हो रोज उठ जाने की कल्पना करते फिर अलसाई आँखों से अंधेरे भविष्य निहा... दिन का जैसे आभास ही ना हो रोज उठ जाने की कल्पना करते फिर अलसाई आँखों से अं...
धक धक करता जो है भीतर तेरी ही धुन में रमता है एक तेरे होने की स्मृति भर से ख़ुशियों का सैला... धक धक करता जो है भीतर तेरी ही धुन में रमता है एक तेरे होने की स्मृति भर से...
मधुरिम रिश्तों की अभिलाषा, मन में जगाती नई आशा... मधुरिम रिश्तों की अभिलाषा, मन में जगाती नई आशा...